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श्रमिकों ने कलेक्टर से की फैक्ट्री प्रबंधन से वेतन की वसूली कराने की मांग

श्रमिकों ने कलेक्टर से की फैक्ट्री प्रबंधन से वेतन की वसूली कराने की मांग

हरदा. श्रमिकों ने कलेक्टर से की फैक्ट्री प्रबंधन से वेतन की वसूली कराने की मांग
श्रीनाथ साल्वेंट प्रालि से श्रमिकों के बकाया पुराने वेतन का भुगतान नहीं करा पा रहे कलेक्टर
श्रम न्यायालय ने 10 माह पूर्व कलेक्टर को आरआरसी के माध्यम से वसूली कराने के दिए हैं आदेश
श्रमिकों ने जनसुनवाई में एक फिर कलेक्टर से लगाई गुहार
हरदा. इंदौर रोड स्थित पिढग़ांव के सोयाबीन प्लांट में कार्यरत श्रमिक विगत करीब 29 साल से अपने हक की कानूनी लड़ रहे है। लेकिन उन्हें अभी तक पूरी तरह से न्याय नहीं मिला है। करीब 10 माह पूर्व श्रम न्यायालय नर्मदापुरम ने कलेक्टर हरदा को आदेश दिए है कि श्रमिकों के करीब 10-10 लाख रुपए वेतन की वसूली के लिए श्रीनाथजी सल्वेंट प्रालि को आरसीसी जारी कर कार्रवाई की जाए। कलेक्टर को यह आदेश मिले 5 माह से भी अधिक समय हो चुका है। लेकिन अभी तक कलेक्टर फैक्ट्री प्रबंधन से श्रमिकों के वेतन की राशि वसूली करने की कार्रवाई पूरी नहीं कर पाए है। ऐसे में श्रमिकों को वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है और वे अभी भी कलेक्टर और श्रम न्यायालय के चक्कर लगाने पर मजबूर हो रहे है। मंगलवार को एक बार फिर श्रमिकों ने जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर ऋषि गर्ग को आवेदन देकर श्रम न्यायालय नर्मदापुरम की ओर से जारी की गई आरआरसी अनुसार श्रीनाथ साल्वेंट प्रालि से वेतन का भुगतान कराने की मांग की है।
प्रबंधन ने 1994 में दुर्भावना पूर्वक निकाला था नौकरी से –
सोया कर्मचारी यूनियन इंटक के अध्यक्ष संदीप शर्मा ने बताया कि प्लांट में श्रमिकों की मांगों और समस्याओं के निराकरण को लेकर यूनियन के महामंत्री सुरेश कुमार और मंत्री अलसम के साथ मिलकर श्रमिकों ने 1994 में ट्रेड यूनियन का पंजीयन कराकर आंदोलन किए थ्रे। इससे नाराज प्रबंधन ने उन्हें दुर्भावना पूर्वक नौकरी से निकाल दिया। इसके खिलाफ श्रमिकों ने श्रम न्यायालय भोपाल में केस दायर कर नौकरी पर रखने और पुराना वेतन देने की मांग की। जिस पर न्यायालय में करीब 10 वर्ष हुई सुनवाई के बाद श्रमिकों को दुर्भावनापूर्वक नौकरी से निकालना मानते हुए उन्हें नौकरी में लेने और पुराने वेतन का भुगतान करने के आदेश दिए। इसके खिलाफ प्रबंधन ने औद्योगिक न्यायालय में अपील की। यहां पर करीब 4 साल तक मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने श्रमिकों को नौकरी पर लेने और पुराना वेतन देने के आदेश जारी किए। इस आदेश के खिलाफ भी सोयाबीन प्लांट प्रबंधन ने उच्च न्यायालय जबलपुर में अपील कर दी।
अवैध रूप से कोटा और अकोला कर दिया ट्रांसफर-
यूनियन अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इस बीच फैक्ट्री प्रबंधन ने श्रमिकों को नौकरी पर वापस लेते हुए अवैध तरीके से कोटा और अकोला ट्रांसफर कर दिया। इसके खिलाफ श्रमिकों ने श्रम न्यायालय नर्मदापुरम में केस दायर कर हरदा स्थित सोयाबीन प्लांट में ही नौकरी पर रखने की मांग की। जिस पर श्रम न्यायालय ने श्रमिकों के स्थानांतरण को अवैध मानते हुए श्रमिकों को हरदा प्लांट में ही नौकरी पर लेने और पुराना भुगतान करने के आदेश फैैक्ट्री प्रबंधन को दिए। लेकिन प्रबंधन ने न तो श्रमिकों को नौकरी पर लिया ओैर न ही पुराने के वेतन का भुगतान किया। जिस पर श्रम न्यायालय ने कलेक्टर का आदेश जारी कर आरआरसी के माध्यम से श्रीनाथजी साल्वेंट प्रालि से वेतन की वसूली करने के निर्देश दिए है। इसमें कलेक्टर की ओर से की जा रही लेटलतीफी के कारण श्रमिकों को राशि और न्याय मिलने में बिलंब हो रहा है।

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