मनुष्य जन्म को सार्थक करने के लिए इंद्रियों का निग्रह करना आवश्यक है – स्वाध्यायी निर्मल कोठारी।
खिरकिया:- ब्यावर (राजस्थान ) से पधारे वरिष्ठ स्वाध्यायी निर्मल कोठारी ने समता भवन खिरकिया में पर्यूषण पर्व के सातवें दिवस के अवसर पर कहा कि- पूर्व भव की अनंता- अनंत पुण्यवाणी से हमें यह मनुष्य भव मिला है। इस मनुष्य भव में हमें पाँचो इंद्रियां मिली हैं। यह इंद्रियां हमें विरासत में नहीं मिली बल्कि इन पाँचो इंद्रियों को हमने अपने पुण्य से पाया है। इसलिए हमें इन इंद्रियों की दुर्लभता को समझना है। इंद्रियों की अमूल्यता को जानकर उन्हें वस में रखने का प्रयास करना चाहिए। यदि वाणी का दुरुपयोग किया तो अगले भव में हमें एकेंद्रिय में भी जाना पड़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि – तपस्या इंद्रियों के निग्रह करने के लिए की जाती है। मन के प्रतिकूलता को सहन करना ही निग्रह है। जहां अनुकूलता होती है वहां कर्म बंधन की संभावना ज्यादा रहती है और जहां प्रतिकूलता होती है वहां कर्मों की निजरा की संभावना रहती है। मनुष्य जन्म को सार्थक करने के लिए इंद्रियों का निग्रह करना आवश्यक है। इंद्रियां पांच प्रकार की होती है। इंद्रियों के में 5 विषय और 240 विकार है । सबसे अधिक कर्म बंध चक्षु इंद्रीय से होता है। आगमों में इंद्रिय निग्रह का आदर्श उदाहरण स्थूलिभद्र मुनि का मिलता है । पाँचो इंद्रियों का प्रमुख मन है। मन में आने वाले विचारों को संयमित कर वहां से मन को हटाना अपने ही हाथ में है। स्वयं का अनुशासन स्वयं करें।इस अवसर पर श्रावक-श्राविकाऐ और श्रृद्धाशील उपासक उपस्थित थे। कई श्रावक श्राविकाए प्रतिदिन रात्रि संवर कर कर्म निर्जरा में सहभागी बन रहे है। पयुर्षण के रंग ज्ञान ध्यान के संग आदि प्रतियोगिता में श्रावक श्राविकाए एवं बच्चे में उत्साह से लाभ ले रहे है प्रतिदिन प्रतिभागियों को पारितोषिक उदारमना गुरुभक्तो द्वारा प्रदान किया जा रहा है।
पूर्व में रियल रामेश रत्नम प्रतियोगिता आयोजित हुई थी जिसमे खिरकिया समता संस्कार पाठशाला के 4 बच्चों ने रतलाम में अपना प्रजेंटेशन दिया था।मध्यप्रदेश के सैकड़ों बच्चो में 14 बर्ष से ऊपर उम्र के बच्चो में खिरकिया के आगम रांका का चयन हुआ।अब देश के विभिन्न अंचलों के बच्चो के साथ नीमच में प्रतियोगिता का अगला राउंड होगा।आज समता भवन में प्रवचन पश्चात बालक आगम का अभिनंदन किया गया इस अवसर पर श्रावक श्रविकाएं गुरुभक्त उपस्थित थे।