जन कल्याण के लिए श्रृंगी ऋषि निमाड़ में सिंगाजी का अवतार लेते हैं =सु श्री चेतना भारती दीदी
खिरकिया ग्राम झुम्मरखाली में भव्य कलश यात्रा के साथ निमाड़ के महान निर्गुणी संत श्री सिंगाजी महाराज की पांच दिवसीय परचरी पुराण का शुभारंभ हुआ। नर्मदा तट मंडलेश्वर से पधारे दीदी श्री चेतना भारती के मुखारविंद से श्रद्धालुओं ने प्रथम दिवस कि कथा का रसपान किया। श्रृंगी ऋषि जन कल्याणार्थ निमाड़ के खजुरी ग्राम में संत सिंगाजी के रूप में अवतार लेते है। संत सिंगाजी महाराज के गुरुदेव श्री मनरंग स्वामी के जन्म की कथा भी दीदी श्री के मुखारविंद से श्रवण करायी गयी।
दीदी श्री के करुण कंठ से अदभुत वाणी का उद्गार हो रहा है और संत सिंगाजी महाराज के भजनों से ग्राम गूंज रहा है।सिंगाजी महाराज पूर्वजन्म में श्रृंगी ऋषि थे और उनके गुरुदेव मनरंग स्वामी राजा परीक्षित थे, पूर्व ऋणानुबंध के कारण दोनों ने कलियुग में पुन: अवतार लिया। खेमदास जी द्वारा रचित दिव्य परचरी पुराण मनुष्य को आत्मबोध कराने वाली दिव्य कृति है। दीदी श्री ने कहा की मनुष्य तन बड़ा दुर्लभ है जो स्वयं को पहचानने के लिए सुगम है इसी दृष्टि से संत सिंगाजी महाराज ने निमाड़ के भोले भाले कृषक, गोपालक, श्रमिक, महिला पुरुष, शिक्षित अशिक्षित सबके कल्याण की दृष्टि से बड़ी साधारण शैली में निमाड़ी भाषा में वेदांत तथा उपनिषदों के गूढ़ ब्रम्ह ज्ञान को सहज भाषा में झोपड़ी झोपड़ी तथा खोपड़ी खोपड़ी तक पहुंचाने का कार्य किया।