दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे में बिलासपुर से दाधापारा, बिल्हा, गतौरा, जयरामनगर, उसलापुर, घुटकू, चांपा से कोरबा, नागपुर से भिलाई के 362 किलोमीटर कासेक्शन है, ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से लैस
इस प्रणाली में एक सेक्शन में एक साथ कई ट्रेनों का किया जाता है परिचालन
कई बार इन सेक्शनों के एक ही दिशा में एक से अधिक ट्रेनों के रुकनें से यात्रियों को होती है भ्रम की स्थिति, जबकि यह ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली का सामान्य परिचालन व्यवस्था है
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में नागपुर से भिलाई 279 किलोमीटर, बिलासपुर–जयरामनगर के मध्य 14 कि.मी., बिलासपुर–बिल्हा के मध्य 16 कि.मी. एवं बिलासपुर–घुटकू के मध्य 16 कि.मी., चांपा से कोरबा 37 किलोमीटर जैसे अनेक रेल खण्डों में आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली की गई है लागू
रायपुर, छत्तीसगढ़। संजय मिश्रा
बदलते वक्त के साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे अपनें सिग्नल सिस्टम में भी बदलाव किया है।
इसी क्रम में अब स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली यानी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं।
नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं, जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती है, अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी, जो ट्रेन जहां रहेंगी वह ट्रेन वहीं रुक जाएंगी।
कई बार इन सेक्शनों के एक ही दिशा में एक से अधिक ट्रेनों के रुकनें से यात्रियों को भ्रम की स्थिति हो जाती है, खासकर जब मेमू ट्रेन जिसके आगे और पीछे दोनों तरफ इंजन लगी रहती है, या वैसी मालगाड़ी जिसके पीछे भी बेकिंग इंजन लगी होती है, इन ट्रेनों के रुकनें से ऐसा प्रतीत होता है कि इनके इंजन आमनें-सामनें आ गए हैं, खासकर जब आगे वाली ट्रेन रुकती है तो पीछे वाली ट्रेन सिग्नल के इशारे का फॉलो कर एक निश्चित दूरी के अनुसार उसके पीछे रुक जाती है।
दक्षिण-पूर्व रेलवे के बिलासपुर स्टेशन तथा उसके तीनों ओर कि दिशा में दाधापारा, चकरभाटा, बिल्हा, उसलापुर, घुटकू, गतौरा, जयरामनगर तक ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम है, इस कारण इन सेक्शनों में एक के पीछे एक कई ट्रेनें एक साथ चलती रहती हैं, वहीं इनके किसी वजह से रुकनें के कारण इनके वीडियो एवं फोटो से ऐसा प्रतीत होता है कि एक ही ट्रैक पर दोनों ट्रेनें आ गई है, जबकि यह ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली का सामान्य परिचालन व्यवस्था है।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जानें से एक ही रूट पर एक कि.मी. के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चलती है, इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ गई है।
वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलनें के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचनें का भी इंतजार नहीं करना पड़ता है, स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चलती है, इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहती है।
दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम:-
इस कड़ी में नागपुर से भिलाई 279 किलोमीटर, बिलासपुर–जयरामनगर के मध्य 14 कि.मी., बिलासपुर–बिल्हा के मध्य 16 कि.मी. एवं बिलासपुर–घुटकू के मध्य 16 कि.मी., चांपा से कोरबा 37 किलोमीटर जैसे अनेक रेल खण्डों में आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू की गई है, साथ ही कई महत्वपूर्ण रेलखण्डों में इस प्रणाली को स्थापित करनें का कार्य तेजी से चल रहा है।
ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू हो जानें से बहुआयामी लाभ रहा है, इससे एक ओर गाड़ियों की रफ़्तार तो बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर लागत की दृष्टि से भी यह काफी कम खर्चीला है, पहले कॉपर के केबल लगाए जाते थे, जिसमें लागत ज्यादा आती थी।
आजकल ऑप्टिकल फाईबर केबल लगाए जा रहे है, जिसकी लागत भी कम होती है एवं इसके चोरी होनें का भी भय नही रहता है, यह रिंग प्रोटेक्टेड केबल होते है जो जल्द खराब भी नहीं होते।
इस प्रकार से दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल्वे के सभी महत्वपूर्ण रेल खण्डों मे इस प्रकार की ऑप्टिकल फाईबर केबल के साथ आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू करनें की योजना है, जिससे कि कम लागत में ज्यादा आउटपुट की प्राप्ति हो, साथ ही साथ ही ट्रेनों की गति में भी वृद्धि हो।
संरक्षित ट्रेन संचालन में सिग्नलिंग सिस्टम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, रेलवे में उपयोग में आनें वाले उपकरणों का उन्नयन और प्रतिस्थापन एक सतत प्रक्रिया है, जिसे आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की उपलब्धता एवं परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है, समय-समय पर ट्रेन संचालन में संरक्षा को और बेहतर बनानें तथा लाइन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सिग्नलिंग सिस्टम का आधुनिकीकरण किया जाता है, इसी कड़ी में ट्रेनों की गति तेज करनें और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनानें की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
इस सिस्टम मेंवर्तमान आधारभूत संरचना के साथ रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ जाएगी।