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समरसता सौहार्द का प्रतीक हैं भुजरियां पर्व की वर्षो पुरानी परंपरा को निभा रहे नगर  वासी

समरसता सौहार्द का प्रतीक हैं भुजरियां पर्व की वर्षो पुरानी परंपरा को निभा रहे नगर  वासी

 

 

हरदा /हमारी भारतीय संस्कृति में अनेकों तीज त्योहार मनाए जाते है इसमें से एक अहम त्योहार है *भुजरिया पर्व* हमारी भारतीय संस्कृति का त्योहार है जो रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता हैं।भुजरिया पर्व खिरकिया वार्ड क्रमांक 8 और छीपाबड़ के वार्ड नं 12 में अलग अलग समाज के परिवारो के द्वारा अपने अपने घरों में बोए जाते है, इसमें गौर परिवार में नगर परिषद उपाध्यक्ष विजयंत गौर,कैलाश गौर,सुरेश गौर, प्रहलाद गौर,विश्वकर्मा परिवार में प्रेमनारायण , श्री राम,बसंत विश्वकर्मा शामिल थे भुजरियां बोने के बाद रोज पूजन पाठ करते है और फिर रक्षा बंधन के दूसरे दिन याने की पड़वा के दिन सभी अपने अपने परिवार की बेटियां अपने सिर पर भुजारिया की टोकानिया ले कर एक ही समय पर एक साथ सभी गांव के लोग लगभग सायं 5 बजे निकलते है और अपने पारंपरिक गीत गाते हुए। केवलराम मीणा के निवास स्थान मां मेकलसुता सेवा सदन पर जाते है वहां गंगाराम पटेल के वंशजों के द्वारा वर्षो से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए। पटेल परिवार से सभी सदस्य विधि विधान भुजरियां का पूजन करते है। फिर भुजरियां विसर्जन के लिए छीपाबड़ तालाब पर जाते हैं और विसर्जन के पश्चात सभी भुजरियां ले पहले मंदिरों में जाते है और फिर अपने बड़ों को भुजरियां देकर आशीर्वाद लेते है

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