प्रथम दिवस गायत्री महायज्ञ में सैकड़ों परिजनों ने आहुति प्रदान की
खिरकिया : यज्ञ का अर्थ है देना,समर्पण करना, मानव समाज और देश के प्रति समर्पण की भावना ही यज्ञ है जिस प्रकार यज्ञ में आहुति प्रदान करने समूचा वातावरण शुद्ध हो जाता है,उसी प्रकार समाज को सुंदर बनाने एवं देश के प्रति समर्पण की भावना ही यज्ञ है उक्त विचार शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक श्री पूरन जी चंद्राकर ने कही प्रथम दिवस 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में गुरु आहवान के साथ प्रारंभ हुआ,जिसमे गुरु आहवान के 33 कोटि देवी देवताओं का आह्वान किया गया जिससे यज्ञ स्थल का पूरा वातावरण देवमय हो गया।। यज्ञ में सैकड़ों धर्मप्रेमी जनता द्वारा आहुति प्रदान की गई। गायत्री महायज्ञ के मंत्रोच्चार से सारा वातावरण गुंजायमान हो गया।यज्ञ संपन्न कराते हुए शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे मुख्य परिजन ने कहा कि यज्ञ हमारी संस्कृति का मुख्य आधार है, हमे अपनी सामर्थ्य के अनुसार प्रतिदिन यज्ञ करना चाहिए।यज्ञ से देवता जल्दी प्रसन्न होते है,यज्ञ हमारे जीवन का आधार है, यज्ञीय प्रवृति हमारे जीवन को उज्ज्वल बनाती है। यज्ञ के बाद दोपहर में प्रज्ञा पुराण का वाचन शांतिकुंज प्रतिनिधि के द्वारा किया गया जिसमे बताया गया कि प्रज्ञा पुराण परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य के द्वारा रचित है,जिसमे गुरुदेव ने बताया है कि किस प्रकार साधारण मानव देवता बन सकता है।मनुज देवता बने बने यह धरती स्वर्ग समान इसी संकल्प के साथ प्रज्ञा पुराण की रचना की गई है। यज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण के प्रथम दिवस मुख्य रूप से प्रेमनारायण गौर,अनिल निलोसे, नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती इंद्रजीत महेंद्रसिंह खनूजा, सांसद प्रतिनिधि महेंद्र सिंह खनूजा, सतीश शास्त्री,आलोक अग्रवाल,प्रदीप रिछारिया,महेश तिवारी,संतोष अग्रवाल,शशिकांत बिल्लोरे,रजनीकांत भारद्वाज,संजय बोरसे, केदार प्रसाद परसाई, ओम प्रकाश चौहान,भगवान सिंह राजपूत, सतीष साकल्ले,राधामोहन तंवर आदि बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी परिजन उपस्थित थे।