श्रेष्ठ वर पाने और पति की सलामती का पर्व है गणगौर
हरदा/ खेडीपुरा हरदा वार्ड क्रमांक 8 में नो दिवसीय उत्सव खरे परिवार द्वारा धूमधाम से मनाया जा रहा है गणगौर उत्सव में आम के पेड़ के नीचे पाती खेलने का विशेष महत्व है शुक्रवार को महिलाओं ने पूजा कर पाती खली और झालरे दिए गए गणगौर हरदा जिले में आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। मोना संदीप खरे ने बताया कि श्रेष्ठ वर पाने और पति की सलामती का पर्व है गणगौर गण (शिव) व गौर (पार्वती) के इस पर्व में विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन और व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद इसर (शिव) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत झालरे इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। इस पर्व में गवरजा और इसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है।