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वास्तविक सुख धर्म के आचरण करने से प्राप्त होता है -स्वाध्यायी निर्मल कोठारी।

वास्तविक सुख धर्म के आचरण करने से प्राप्त होता है -स्वाध्यायी निर्मल कोठारी।
ब्यावर (राजस्थान )से पधारे वरिष्ठ स्वाध्यायी निर्मल कोठारी ने समता भवन खिरकिया में पर्यूषण पर्व के तीसरे दिवस आज दिनांक 16/8/2023 दिन बुधवार को समता भवन में कहा कि -संसार का प्रत्येक व्यक्ति सुख चाहता है। वह संसारी सुख को प्राप्त करने के लिए भटकता रहता है परंतु उसे सुख की प्राप्ति नहीं होती है। भौतिक सुख की उसे प्राप्ति तो होती है परंतु यह भौतिक सुख क्षणिक होता है। वास्तविक सुख तो धर्म का आचरण करने से प्राप्त होता है। संसार में ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो हमें सुखी या दुखी बना सके। स्वयं के कर्म स्वयं को ही भोगना पड़ता है। उन्होंने कहा कि- धर्म की प्रभावना करने से हमारे पुण्य में वृद्धि होती है और दूसरे व्यक्ति को धर्म में स्थिर भी कर सकते हैं। धर्म का सही आचरण करने से व्यक्ति श्रावक तक बन सकता है। उन्होंने आगे कहा कि- पुण्य ९ प्रकार के होते हैं ।अन्न पुण्य का बंध, अन्न का दान किए बिना भी हम बांध सकते हैं। अन्य की सुरक्षा, प्रतिलेखना एवं परीग्रह न करके। इसी प्रकार पानी का अपव्यय रोककर पान पुण्य का बंध कर सकते हैं ।धोवन पानी बहरा कर महान पुण्य का बंध किया जा सकता है। इस अवसर पर श्रावक-श्राविकाऐ और श्रृद्धाशील उपासक उपस्थित थे। समता प्रचार संघ के माध्यम से पधारे स्वाध्यायी बंधुओं की प्रेरणा व पुरुषार्थ से तथा तपस्वियों के दृढ़ आत्म मनोबल द्वारा पर्वाधिराज पयुर्षण पर्व के तीसरे दिन खिरकिया समता भवन में 3 उपवास की तपस्या करने वाले तपस्वियों के नाम इस प्रकार है। नगीनचंद हुकुमचंद भंडारी छीपावड़,सिद्धार्थ विनायक,संगीता विनायक,दीपा विनायक,कुमारी स्वर्णिम विनायक, कुमारी अदीति रांका, स्मिता रांका,बर्षा रांका ने गृहण किए।

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